दामाद और ससुर का संबंध कैसा होना चिहिए ? Damad or sasur ka rishta kaisa hona chahiye ?
परंपरागत मान्यताओं के कारण दामाद और ससुर के संबंधों (relation) में सामंजस्य का अभाव बना रहता है. क्योंकि पुरुष सत्तात्मक समाज होने के कारण महिलाओं को दोयम दर्जा दिया जाता है. यही कारण है जहाँ एक तरफ बेटे का पिता होना गौरव का आभास दिलाता है,तो पुत्री का पिता सदैव उसकी ससुराल वालों के समक्ष झुका रहता है.
तथा बेटे के बराबर दामाद के सामने भी झुकने को मजबूर होना पड़ता है,कभी कभी तो अपमानित भी होना पड़ता है. दामाद और उसके पिता वर पक्ष के होने के कारण विजयी मुद्रा में देखे जाते हैं, जबकि बेटी का बाप होना अपमान का प्रतीक बन जाता है. यही अपमान और निरंकुशता समाज में पुत्र को श्रेष्ठ और पुत्री को बोझ ठहरता है. और महिला वर्ग को समान अधिकार और सम्मान से वंचित करता है.
देश की बढती जनसँख्या को देखते हुए तथा जीवन स्तर को नित्य ऊंचा करने की होड़ के चलते समाज पर परिवार नियोजन का दबाव बढ़ रहा है. परिवार में दो बच्चों से अधिक होना पिछड़े पन का सूचक बनता जा रहा है. क्योंकि हमारे सामाजिक संरचना और परम्पराओं के कारण पुत्री क…
परंपरागत मान्यताओं के कारण दामाद और ससुर के संबंधों (relation) में सामंजस्य का अभाव बना रहता है. क्योंकि पुरुष सत्तात्मक समाज होने के कारण महिलाओं को दोयम दर्जा दिया जाता है. यही कारण है जहाँ एक तरफ बेटे का पिता होना गौरव का आभास दिलाता है,तो पुत्री का पिता सदैव उसकी ससुराल वालों के समक्ष झुका रहता है.
तथा बेटे के बराबर दामाद के सामने भी झुकने को मजबूर होना पड़ता है,कभी कभी तो अपमानित भी होना पड़ता है. दामाद और उसके पिता वर पक्ष के होने के कारण विजयी मुद्रा में देखे जाते हैं, जबकि बेटी का बाप होना अपमान का प्रतीक बन जाता है. यही अपमान और निरंकुशता समाज में पुत्र को श्रेष्ठ और पुत्री को बोझ ठहरता है. और महिला वर्ग को समान अधिकार और सम्मान से वंचित करता है.
देश की बढती जनसँख्या को देखते हुए तथा जीवन स्तर को नित्य ऊंचा करने की होड़ के चलते समाज पर परिवार नियोजन का दबाव बढ़ रहा है. परिवार में दो बच्चों से अधिक होना पिछड़े पन का सूचक बनता जा रहा है. क्योंकि हमारे सामाजिक संरचना और परम्पराओं के कारण पुत्री क…